गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 03/03/202428/02/2024 ग़ज़ल घास का ढेर हूँ चिंगारी दिखा दे मुझकोखाक हो जाऊँगा थोड़ी सी हवा दे मुझको कहाँ ढूँढेगा मुझे खुद ही Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 21/02/202421/02/2024 ग़ज़ल महफिल की तनहाई से कभी चीख रहे सन्नाटों सेधीरे-धीरे सीख रहा हूँ बचना झूठी बातों से शाम हुई साये की Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 08/01/202408/01/2024 गजल न फिर वो बन सकूँगा जो बुरा होने से पहले थासज़ा का डर तो बस मुझको सज़ा होने से पहले Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 03/01/202403/01/2024 गजल तीखे मोड़ हों जिसमें वो राह अच्छी नहीं होतीए मेरे दोस्त बिन माँगी सलाह अच्छी नहीं होती उड़ा देती है Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 21/12/2023 हो जाए बुजुर्गों की तेरे हाथों से ना तौहीन हो जाएतेरी बातों से कोई दोस्त ना गमगीन हो जाए मिल जाए अगर Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 12/10/202312/10/2023 प्यार हो जाता मुझे ता-ज़िंदगी फिर रास्तों से प्यार हो जाता जो मेरा हमसफर बनने को तू तैयार हो जाता मेरे दिल से Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 09/10/202309/10/2023 गजल सूखे पत्तों की तरह इधर-उधर जाते हैं हमें खुद ही नहीं खबर है किधर जाते हैं अपनी किस्मत में तो Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 03/10/202303/10/2023 गजल किसने किसका दिल तोड़ा ये सारे ज़माने को है पता कौन उजड़ा और कौन बसा ये सारे ज़माने को है Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 26/09/202326/09/2023 गजल दिन जैसे गुज़रते जा रहे हैं दोस्त अपने बदलते जा रहे हैं समझ में आ नहीं पाया मुझे ये रिश्ते Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 20/09/202320/09/2023 गजल जाने कैसे हमें लग गया मर्ज़ ये है संगीन बहुत अपनी तबियत थोड़े दिनों से रहती है गमगीन बहुत दीवानों Read More