गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 24/03/2017 गज़ल थोड़ी चालाकी से थोड़ी सी गद्दारी से, महल दोस्ती का जला इक चिंगारी से, दिल टूटा तो इक आह भी Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 18/03/2017 गज़ल अँधेरा जब होता है और साए बिछड़ने लगते हैं, ज़ेहन में यादों के कुछ ताबूत सरकने लगते हैं, ना जुल्फों Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 12/03/201719/03/2017 गज़ल जिसकी हुकूमत थी कभी आसमानों तक वो इश्क है महदूद जिस्मों की दुकानों तक चर्चे हैं बहुत जिसके वो बयार Read More
सामाजिक *भरत मल्होत्रा 09/03/201710/03/2017 पानी बचाने के कुछ उपाय होली आ गई है। पानी बचाने एवं होली न खेलने की अपील करने वाले संदेशों की बाढ़ भी आ गई Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 09/03/2017 गज़ल जिसके ज़ख्म पे मैंने सदा मरहम लगाया है, मेरी पीठ पर उस शख्स ने खंजर चलाया है, करो तवाफ-ए-काबा या Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 03/03/2017 गज़ल ज़ुबां पे कैसे आता मेरे इश्क का फसाना, उसे वक्त ही नहीं था जिसे चाहा था सुनाना, मेरे साथ घूमते Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 01/03/2017 गज़ल रास्ते की जो मुझे दीवार समझता रहा, उसी शख्स को मैं अपना यार समझता रहा, लोग झूठ-मूठ का सलाम ठोकते Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 27/02/2017 गज़ल सारे चेहरे हैं अनजाने किसको दूँ आवाज़ यहां, हो गए अपने भी बेगाने किसको दूँ आवाज़ यहां, महफिल खत्म हुई Read More
धर्म-संस्कृति-अध्यात्म *भरत मल्होत्रा 22/02/2017 लेख वर्तमान में धर्म की सबसे बड़ी विडंबना यही है कि हमने चर्या के विषय को चर्चा के विषय में रूपांतरित Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 22/02/2017 गज़ल हुक्मअदूली कर लेकिन थोड़ी फरमाबरदारी रख, जीने की ख्वाहिश है तो मरने की भी तैयारी रख, लंबे सफर में जितना Read More