गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 21/01/2017 गज़ल तनहाई में महफिल कभी महफिल में तनहाई, चाहत तेरी हमें ये किस मुकाम पर ले आई, उल्टा हुआ असर मेरी Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 18/01/201719/01/2017 गज़ल अपने हालात पर झुंझला रहा हूँ, आज खुद से ही मैं शरमा रहा हूँ, सुबह बच्चों ने माँगे थे खिलौने, Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 09/01/2017 गज़ल किसी के पास जाने से मुझे कुछ डर सा लगता है, बेवजह मुस्कुराने से मुझे कुछ डर सा लगता है, Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 06/01/201707/01/2017 गज़ल मुहब्बत के लिए इंसान कुछ भी कर गुज़रता है जुनून-ए-इश्क हो तो फिर किसी से कौन डरता है दिल-ए-नादान का Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 24/12/2016 गज़ल खामोश रहते हैं किसी को कुछ ना कहते हैं, ज़माने वाले फिर क्यों हमको बुरा कहते हैं, मयार गिर गया Read More
सामाजिक *भरत मल्होत्रा 22/12/2016 सीखना सीखना एक ऐसी प्रक्रिया है जो मनुष्य के जन्म से लेकर मृत्यु पर्यंत निरंतर चलती रहती है। आदमी जितना अधिक Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 22/12/2016 गज़ल परेशां इसलिए हूँ कि परेशानी नहीं जाती, बचपन तो गया लेकिन ये नादानी नहीं जाती, कसम खाए करे तौबा चाहे Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 15/12/2016 गज़ल चोट खाकर खिलखिलाता हूँ, टूटकर भी मैं मुस्कुराता हूँ, तू मेरा सब्र आज़माए जा, मैं तेरा जब्र आज़माता हूँ, आँख Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 13/12/2016 गज़ल इश्क से चोट लगती है हया से चोट लगती है, मेरे टूटे हुए दिल को वफा से चोट लगती है, Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 12/12/2016 गज़ल जितना तुमसे मैं दूर जाता हूँ, उतना तुमको करीब पाता हूँ, तेरी जुदाई के तसव्वुर से, दिये की लौ सा Read More