गज़ल
अपनी हस्ती पे क्यों लोग अकड़ जाते हैं, ज़रा से झोंके से पत्ते यहां झड़ जाते हैं जो झुकते हैं
Read Moreबुराई निस्संदेह बुरी है परंतु उससे भी बुरी है दिखावे की अच्छाई क्योंकि दिखावे की अच्छाई मनुष्य के हृदय में
Read Moreराह में हमसफर को छोड़ना अच्छा नहीं होता, दिल-ए-नाज़ुक को ऐसे तोड़ना अच्छा नहीं होता वक्त इक रोज़ कोयले को
Read Moreहे मानव! ना मोह करो तन का है माटी से उपजा ये शरीर, माटी में मिलने को अधीर, क्यों आए,
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