गीत : मुझको ग़द्दारी लगती है
उनकी नसों में दौड़ रही मुझको गद्दारी लगती है जिनको मेरे देश की सेना बलात्कारी लगती है नाचने की औकात
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Read Moreकुछ मित्रों को शिकायत है कि आजकल मैं बहुत सांप्रदायिक हो गया हूँ। तो हमारे देश के एक तथाकथित सेक्यूलर
Read Moreकैसे बच्चों को दिखलाऊँ झांकी हिंदुस्तान की बन के आज तमाशा रह गई धरती ये बलिदान की कुछ तो
Read Moreमित्रो, बचपन में एक गीत बहुत सुना करते थे “आओ बच्चो तुम्हें दिखाएं झांकी हिंदुस्तान की”। उसमें हमारे गौरवमय इतिहास
Read Moreकोई फूलों की माला में काँटे पिरो रहा है कोई अपने हाथों अपनी कश्ती डुबो रहा है कुछ भी ना
Read Moreशादी की बीसवीं वर्षगांठ की पूर्वसंध्या पर पति-पत्नी साथ में बैठे चाय की चुस्कियां ले रहे थे। संसार की दृष्टि
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