गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 24/11/2015 ग़ज़ल आदमी का आदमी से वास्ता कोई नहीं, हर तरफ दीवार है अब रास्ता कोई नहीं हसरतों ने उम्र भर ना Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 23/11/2015 ग़ज़ल दिल का दर्द लफ्ज़ों में बताया क्यों नहीं जाता नहीं है पास जो उसको भुलाया क्यों नहीं जाता रोकते-रोकते भी Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 10/11/2015 ग़ज़ल जीवन जंग है जारी रख बस मौत से रिश्तेदारी रख बैठ ले जब तक जी चाहे पर चलने की तैयारी Read More
गीत/नवगीत *भरत मल्होत्रा 09/11/2015 गीत लेने का मौसम चला गया आया है वापिस देने का मौका है बहती गंगा में हाथ अपने भी धोने का Read More
गीत/नवगीत *भरत मल्होत्रा 07/11/201525/11/2015 गीत अपनों ने जो किए हैं दिल पे वार दिखाने आया हूँ घायल भारतमाता का चित्कार सुनाने आया हूँ राशन नहीं Read More
गीत/नवगीत *भरत मल्होत्रा 04/11/2015 गीत बन के चारण भाट जो पैसे वालों के गुण गाते हैं सरस्वती के पुत्र वो खुद अपना अपमान कराते हैं Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 03/11/201503/11/2015 ग़ज़ल नहीं कुछ और इसमें मैंने खूने-दिल मिलाया है तब कहीं जा के अपनी शायरी में रंग आया है आँसू की Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 02/11/2015 ग़ज़ल हिस्सा-ए-बाज़ार न बन, हिम्मत रख लाचार न बन कुछ अपनी भी सोचा कर, सबका खिदमतगार न बन दुश्मन भी रख Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 01/11/2015 ग़ज़ल हसरत-ए-दिल-ए-बेकरार कहां तक जाती दश्त-ए-तनहाई के उस पार कहां तक जाती मैं ज़मीं पर था तुम कोहसार-ए-गुरूरां पर थे गरीब Read More
कविता *भरत मल्होत्रा 30/10/2015 करवाचौथ बहाना है करवाचौथ पर मेरी पत्नी को समर्पित एक कविता :- करवाचौथ बहाना है, बस इतना याद दिलाना है, रात को जब Read More