गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 29/09/2015 ग़ज़ल इंसानियत इंसान के हाथों कतल होती रही, नफरतों के बीज दुनिया किस कदर बोती रही बैठी रही सरकार बस कानों Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 27/09/2015 ग़ज़ल ख्वाहिशें ले के हम हज़ार गए, पर तेरे दर से बेकरार गए तुझे गैरों से ना मिली फुर्सत, हम तुझे Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 25/09/2015 ग़ज़ल इस बेदर्द ज़माने में दिल को, दिल से मिलाए कौन, हर कोई गम में डूबा है, गीत खुशी के Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 24/09/2015 ग़ज़ल ख्वाब क्या ताबीर क्या ये क्या खबर, ज़ुल्फ क्या जंजीर क्या ये क्या खबर दिल की सुनते हैं दिल की Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 23/09/2015 गजल जाने क्या चाहता है मुझसे मुकद्दर मेरा, बनता काम बिगड़ जाता है अक्सर मेरा याद आया मुझे ये आग लगाने Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 22/09/2015 गजल रह गई कौन सी कसर आखिर, हुआ तुझपे ना कुछ असर आखिर जल गया धूप में शहर सारा, आई बारिश Read More
मुक्तक/दोहा *भरत मल्होत्रा 21/09/2015 मुक्तक आंधी मगरूर दरख्तों को पटक जायेगी, सिर्फ वो ही शाख बचेगी जो लचक जायेगी, आसमां छूने का हो जायेगा खुद Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 19/09/2015 गजल फिर तुझे माहताब लिखूँगा, एक खिलता गुलाब लिखूँगा कहीं तेरा नाम ना पढ़ ले कोई, तुमको आली जनाब लिखूँगा मेरी Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 18/09/2015 गजल जाने कैसे हमें लग गया मर्ज़ ये है संगीन बहुत, अपनी तबियत थोड़े दिनों से रहती है गमगीन बहुत दीवानों Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 15/09/201517/09/2015 ग़ज़ल कायम जिसके दिल में आज भी ईमान रहता है, वो शख्स इस दुनिया में अब परेशान रहता है मजमा लग Read More