अकथ्य मेरी वेदना
प्राण पंछी है विकल, असह्य मेरी वेदना मौन मुखरित है प्रिये, अकथ्य मेरी वेदना नीर नैनों में भरे मैं,समुद्र तट
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Read Moreकाश तुम हो सकते, मेरे……….. ज़रा से, नहीं पूरे तो भी गम नहीं, बस………. ज़रा से, यूँ ही चलता रहता,
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