गुलमोहर
गुलमोहर तुम स्वप्निल से अनुरागी मन लिए विषम स्थिति में भी अटल अडिग खड़े चिलचिलाती धूप में लहलहाते देते छांव
Read Moreगई रात हुई थी पुरज़ोर बारिश अल सुबह देखा खुला- खुला आसमां का पल- पल बदल रहा रंग केसरिया,सिंदूरी,
Read Moreबच्चे जिन्हे अभी और पढ्ना था लेनी थी अच्छी तहजीब और तालिम पाकिस्तान के दामन से धो देना था
Read Moreगुजरा कल उदासी भरा था तय कर रही थी सुनी रहें बिना किसी अनुभूतियों के—- तुम कब शामिल हो गए
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