कविता

गरीब लड़की

 

सुर्ख फूलों को
चाहने वाली
वो उदास लड़की
नहीं देखती कभी
कोई सब्ज स्वप्न

निष्ठुर भाग्य मिला बिन मांगा वरदान उसे सर्द गर्म
चाहे जैसा भी हो मौसम
चंद खुशियों के लिए
कांधे पर
दुखों का बोझ उठाए
सुबह शाम
भट्कती है खत्ते- खत्ते

पेट की ज्वाला उसके
विचारों को बंधने नहीं देती
वह नही जानती
स्त्री सशक्तिकरण की परिभाषा
और विद्रोह की भाषा ब्याह दी जाती
किसी अधेड़ से
जीती शापित जीवन
समझौता
जीने की अनिवार्य
शर्त हो जैसे

नियति के तयशुदा
रास्ते पर चलके
हर घटित को
चुपचाप सहती मानो हो कोई बुत जैसे

उसके पथराए आंखों मे
उभरते है बार बार
एक सवाल
कब तक यूं ही
देती रहूँगी
सब्र का इम्तहान??
पूछती है
वो उदास लड़की
हम सभी से !!!!!

****भावना सिन्हा ****

डॉ. भावना सिन्हा

जन्म तिथि----19 जुलाई शिक्षा---पी एच डी अर्थशास्त्र

3 thoughts on “गरीब लड़की

  • मुकेश सिन्हा

    अच्छी कोशिश

  • जवाहर लाल सिंह

    दुर्भाग्य है आज लड़की होना और महा दुर्भाग्य है गरीब लड़की होना…

  • विजय कुमार सिंघल

    धरती से जुडी अच्छी कविता !

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