मेरा आँगन
खो गया मेरा वो अँगना न जाने कहाँ जहाँ हम बैठ मिल पीते थे सुबह शाम चाय गर्मियों में लगाकर
Read Moreअपने ख्वाबों क़ी खातिर दौड़ता ही रहा और दौड़ कर बहुत दूर निकल गया इस दौड़ मैं मेरे ख्वाब तो
Read Moreजिंदगी एक अनिश्चित सफ़र है क्या होगा अगले पल कोई नहीं इसकी खबर सफऱ में मिले जो भी मुसाफिर मिलो
Read Moreजीवन एक़ अंतहीन संघर्ष है जहाँ कदम रुके वहीं मौत है. इसलिए राही तू चलता चल मंजिल पे निगाहेँ टिका
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