कविता

मेरे राम

राम को पुकार रहे

राम गए कहां हैं

जो उनको पुकार रहे

राम तो पास है तेरे

हर क्षण साथ है

दाएं देखे तो है वह वहाँ खड़ा

बाएँ देखे तो वह तुझे देख रहा

नज़र ऊँची कर जो तू देख

तुझ पर आशीष बरसा रहा

जरा झुक कर नीचे देख

तो तेरे सहारे को वो खड़ा

वह तो तेरे ही पास है

फिर उसे कहां पुकार रहा

*ब्रजेश गुप्ता

मैं भारतीय स्टेट बैंक ,आगरा के प्रशासनिक कार्यालय से प्रबंधक के रूप में 2015 में रिटायर्ड हुआ हूं वर्तमान में पुष्पांजलि गार्डेनिया, सिकंदरा में रिटायर्ड जीवन व्यतीत कर रहा है कुछ माह से मैं अपने विचारों का संकलन कर रहा हूं M- 9917474020