क्षणिका
दिल ने जो कहा हमनें वही किया गलत था या फिर सही यह सोचेंगे फिर कभी फुर्सत के बाद
Read Moreहैरान परेशान भटक रहा इस बियावान में ऐसे जैसे मृग फटकता फिरता जंगल जंगल खोजे उस कस्तूरी को छुपी हुई
Read Moreहर चीज यहां बिकाऊ है बस खरीददार चाहिए जिस्म भी मिलेगा ईमान भी मिलेगा जरूरतमंद की जरूरत क्या है जेब
Read Moreदौर जो यह चल रहा है हर आदमी यहाँ बड़ा बनने की होड़ में दौड़ रहा है भूल रहा है
Read Moreऔरों पर हँसने वालों कभी यह भी सोचा तुम भी बन सकते हो हंसी के पात्र किसी रोज उस दिन
Read Moreमैं 4 नवंबर से नर्मदा जी की पैदल यात्रा पर निकला हूं. मेरी यात्रा अमरकंटक नर्मदा जी के उद्गम स्थल
Read Moreजिंदगी की कहानी हो जाए कब खल्लास नहीं कुछ इसका पता चलते चलते कब डगमगा कर राहों में
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