कविता

यादें

लौट जाऊंगा जब
न फिर वापस आऊंगा
एक याद बन बस
दिल में तुम्हारे रह जाऊंगा
पुकारोगे मुझे जब भी
मुझको न तुम पयोगे
आसपास तुम्हारे बस
यादों का एक मेला होगा
जिसमें तुम मुझे ढूंढोगे
पर मुझको  न पयोगे
पलकों में होंगे आंसू तुम्हारे
कुछ  तन्हाईया होंगी
कुछ आधे अधूरे ख्वाब होंगे
अगर कुछ जो न होगा
वह मैं होऊंगा.

*ब्रजेश गुप्ता

मैं भारतीय स्टेट बैंक ,आगरा के प्रशासनिक कार्यालय से प्रबंधक के रूप में 2015 में रिटायर्ड हुआ हूं वर्तमान में पुष्पांजलि गार्डेनिया, सिकंदरा में रिटायर्ड जीवन व्यतीत कर रहा है कुछ माह से मैं अपने विचारों का संकलन कर रहा हूं M- 9917474020