क्षणिकाएं
मैं समुंदर हूं मैं लोटूंगा मेरी यह फितरत है मैं जाकर थमता नहीं फिर लोटता हूं पूरी शिद्दत के साथ
Read Moreगर्मी का मौसम है और आम के ठेले बाजारों में चारों तरफ नजर आ रहे हैं. अभी तक एक मात्र
Read Moreसरिता और सागर का संगम है जैसे स्त्री पुरुष का संगम नदी शांत लज्जामय समुंदर में उन्माद आवेग सरिता सागर
Read Moreजिंदगी की कहानी कब हो जाए खल्लास नहीं इसका कुछ पता चलते चलते कब डगमगा कर राहों में बिखर जाए
Read Moreघर से निकला गर्मी में चंद कदम चल मैं तो वापस लौट आया हाय हाय मजबूरी कपड़ा और रोटी की
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