बच्चे
बच्चों बच्चों में भेद कैसा बच्चे तो बच्चे हैं मेरे और तेरे बच्चे क्या वो तो भगवान का रूप होते
Read Moreहैरान परेशान सा भटक रहा इधर उधर इस बियावान में ऐसे जैसे मृग फटकता फिरता है जंगल जंगल कस्तूरी को
Read Moreसारा जोर है अगली सांस पर आती है या रुक जाती है मुझे फिक्र नहीं डोरी तो टूटनी है फिर
Read Moreकविता आखिर है क्या खुद के अंदर घुमड़ते भावों का उदगार जो अंकित हो जाते है कागज के पन्नों पे
Read Moreमैं आपको, अपने शहर और अपने मोहल्ले के भव्य शिव मंदिर जो कैलाश मंदिर के नाम से जाना जाता है,
Read Moreदेखो यह दीवानों तुम यह काम न करो पहन कर फटी जींस मम्मी पापा का नाम बदनाम न करो तुम्हें
Read Moreखोजना चाहता हूं खुद को क्या इसी तरह खोज पायूंगा सत्य से हूं मैं कोसों दूर खोजने चला हूं मैं
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