सोच
आदमी सोचता है बहुत खास है वो लोगों के लिए कैसा यह भ्रम है हकीकत तो यह है कोई फर्क
Read Moreजीवन क्या है यह हो जाए वोह हो जाए यह मिल जाएं वो मिल जाएं यह सब अभिलाषा ही तो
Read Moreदुनियां है इक पागल खाना मैं भी पागल तुम भी पागल सब के सब यहां हैं पागल कोई पैसे को
Read Moreमौसम का मिज़ाज बदल रहा सर्द हवाओं का आगाज़ हो रहा बक्सों में बंद पड़े गरम कपड़ों का बाहर निकलने
Read Moreआत्मा की आवाज रह जाती है अनसुनी कई बार दब जाती है दबाबों में कभी मेरे कभी तेरे लाचार सिसकती
Read Moreयमराज जी बोर हो गए अपनी पुरानी ड्रेस और भैंसे की सवारी से सो उन्होंने लिया एक निर्णय और बोले
Read Moreसारा खेल है दो जून की रोटी का कोई दिन भर रहता परेशान है तोड़ता है हाड़ अपने इसको पाने
Read Moreजब हाथ में रहे न बात तो वक़्त के हाथ छोड़ दे निशब्द हो बैठ जा कर इंतजार वक़्त का
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