क्षणिका
अनारकली बनकर नाच रहीं थी हसरतें जो ख़ामखाँ दीवार चुनकर चुनवा दिये उनमें हमनें उनको
Read Moreनदी और सागर का संगम जैसे स्त्री पुरुष का संगम नदी शांत लज्जामय समुंदर में आवेग उफान नदी आतुर रहती
Read Moreआज नहाते नहाते एक ख्याल आया. आपने नोट किया होगा अक्सर यह ख्याल नहाते और पेट साफ करते वक़्त ही
Read Moreभटक रहा हूँ गली गली मोहल्लों में ढूंढ रहा कोई ऐसा घर रहता हो न जिसमें कोई हिन्दू कोई मुस्लिम
Read More