गीत : मैं काव्य जगत का इन्द्रधुनष
मैं काव्य जगत का इन्द्रधुनष।। जीवन में जितने रंग मिले, उन सबसे चित्र बनाये हैं। सच्चाई कहते सुनते भी, कुछ
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