स्वयंसिद्धा बनाना होगा…
राधिका अपने सुशील व्यवहार, मृदुल वाणी से सबकी चहेती थी। माता-पिता की आंख का तारा। दादी मंगला जी को उसका
Read Moreराधिका अपने सुशील व्यवहार, मृदुल वाणी से सबकी चहेती थी। माता-पिता की आंख का तारा। दादी मंगला जी को उसका
Read Moreदीप से दीप जलाते चलो, जगमग उजियार सजाते चलो, अंधियारी गलियां होवे रोशन, आनंद धन छितराते चलो।। मिठाई नमकीन ढेरों
Read Moreएकल या संयुक्त पशोपेश में हूं मैं, परिवार कैसे हो? एकल की स्वच्छंदता, या संयुक्त के बंध हो? आजादी के
Read Moreपर्व दीपावली आया, उमंग, उल्लास लाया, शुभकामनायें लिए, त्यौहार मनाइये।। घर आँगन सजाये, शुभ मांडणा रचाये, फूल मालाएं सुन्दर, दीपों
Read Moreजागो, चेतो नींद से, लो परमात्मा नाम। त्यागो आलस धैर्य से, करना अपने काम।। आयी सूरज रश्मियां, फैलाती उजियार। छायी
Read More“मुरझाये-से क्यों हो गुलाब के पौधे?” चमेली के पौधे ने सहज ही पुछा। ” देखो न मेरी अधखिली कलियाँ भी
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