वसुंधरा
हरी-भरी मनहर हो वसुंधरा, सजी पुष्प क्यारियां रंगीली, महके, चहके पंछीगण सारे, चेतन हो सृष्टि खिली-खिली।। नीलाभ अंबर की छाया,
Read More“माँ, छोटा कब से रोये जा रहा है। लो इसे।” “अरी बडकी, संभाल उसे। मुझे काम पर जाना है। देर
Read Moreझूले ऊँचा-नीचा, कर्मों का ये खेला। हिय हो शुभ भावों का, निर्मल मंगल मेला।। जीवन पावन धारा, धर्म-कर्म भंडारा। मानवता
Read Moreअस्त्र, युद्ध विनाशकारी, जीव सृष्टी विध्वंसकारी, शस्त्र मीठी मुस्कान का, जीवन का प्रेम पुजारी।। रोते को हौले से हंसा देती,
Read Moreहिन्दी प्रियतम भाषा, बोले भारत वासी। वाणी मीठी जानो, निज अभिमान सुहासी। जैसे देशी घी की, खुशबू मन को भाये।
Read Moreसुमी चाहे घरेलू सहायिका थी, अपने बच्चे अनूप को स्वयंसिद्ध बनाया था सुमी ने। अनुशासित जीवन था उसका। सुबह परम
Read Moreजगततारिणी माँ, जगदंबे माँ, रिद्धि, सिद्धि दात्री सुहासिनी मां, भक्ति दो, शक्ति दो, हमें साहस दो,, ज्ञान गागर माणिक मोती
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