शुकराना किजिए
थरथराते हाथों को, डगमगाते पांवों को, ढलती सांझ को, सखा, रुसवा न किजिए।। फैला बाहों का पलना, सजाया सौख्य झूलना,
Read Moreथरथराते हाथों को, डगमगाते पांवों को, ढलती सांझ को, सखा, रुसवा न किजिए।। फैला बाहों का पलना, सजाया सौख्य झूलना,
Read Moreरूकता न थकता कभी, निरंतर रहें गतिमान, बीता हुआ लौटे न कभी, समय बड़ा बलवान।। घूमे समय का पहिया, कहीं
Read Moreहिन्दी भाषा हैं सहज, सरल, अन्तर्मन के भाव सुनाये।। मीठी बोली यह खूब सरस, सुर लय ताल छंद मिलाये।। अपनी
Read Moreफूलों से मुस्कुराना सीखो, पंछियों से मस्त मगन जीना, तितलियों से ख्वाब बुनना, भंवरों से मधुर गुनगुनाना।। आंखों के तारों
Read Moreदीप अपनी माटी के दीपमालायें सुंदर, सजाये बंदनवार, रंगोली रंगरंगीली, आँगन सजाइये।। दीप अपनी माटी के, प्रेम, स्नेह, ममता के,
Read Moreराधिका अपने सुशील व्यवहार, मृदुल वाणी से सबकी चहेती थी। माता-पिता की आंख का तारा। दादी मंगला जी को उसका
Read Moreदीप से दीप जलाते चलो, जगमग उजियार सजाते चलो, अंधियारी गलियां होवे रोशन, आनंद धन छितराते चलो।। मिठाई नमकीन ढेरों
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