लावणी छंद मुक्तक
पुण्य कर्म जब उदयित होते, जीवन निज सार्थक होता, मानवता ही धर्म मनुज का, सहज मिटे भव-भव गोता, पूजन, वंदन,
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Read Moreदोनों भाई एक दुसरे के साथ-साथ ही अपनी कंपनी में जाते। बडा अनीश, छोटा रोनीश। माता सुलोचना देवी अपने लाडलों
Read Moreबड़े बड़े कर वादे हमने, पायी यह सौगात। कभी नमन, वंदन, जोडे कर, भुला चले औकात।। जोगीरा सा रा रा
Read Moreनन्हा सा बालक जब रोता, आंचल में छुप चुप होता। ममता की छाया में सोता, भरता सुख सागर गोता।। गोदी
Read Moreपावन पर्व रंगोत्सव, आयी, होली आयी, आनंद, उल्लास, हुड़दंग, चहुँ ओर खुशियां छायी।। रंग बिरंगे फूलों की सजी सुंदर क्यारियां, प्रेम सुरभि
Read Moreछोटी सी है चिड़िया न्यारी, फड़ फड़ करती हैं प्यारी, कौन सिखाता ऊँचा उड़ना, दाना-दाना चुगकर लाना। मस्ती में कैसे
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