Author: *चंचल जैन

कविता

अनुराग

विनय, विवेक जैसे माणिक मोती, शुभ भावना जगमग जीवन ज्योति, मिश्री-सी मीठी बोली, रेशम बंधन, प्रेम-अनुराग, दुलार, मृदुल स्पंदन।। सेवा-सुश्रुषा,साधना,

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