मैं नवोदय चाहूं!
मुक्त हूं मैं रूढ़िवादी सोच से, उन्मुक्त नहीं। स्वतंत्र हूं अवांछनीय बंधनों से, स्वच्छंद नहीं।। संस्कारी मन, सु-शील वर्तन मेरा,
Read Moreमुक्त हूं मैं रूढ़िवादी सोच से, उन्मुक्त नहीं। स्वतंत्र हूं अवांछनीय बंधनों से, स्वच्छंद नहीं।। संस्कारी मन, सु-शील वर्तन मेरा,
Read Moreफूलों की रंग बिरंगी क्यारियां, मनभावन खुशबू उसे बहुत पसंद थी। भोर की मद्धम रोशनी, कलरव करते पंछी, रंग रंगीली
Read Moreवाणी हो मीठी-मीठी मधुर, न हो कर्कश, न कठोर, मिश्री घुली हो बोली सुहास, रिमझिम बरसे प्रेम रस धार।। निर्मल
Read Moreघण घण घण बजी रे घंटी, आया कुल्फी वाला, आया कुल्फी वाला रे, आया कुल्फी वाला।। दादी दे दो ना
Read Moreबड़े प्यार से रविंद्र और रंजन ने घर सजाया था। शानदार बाग भी। रंगबिरंगे फूलों की क्यारियां घर-द्वार महकाती। सुनहरी
Read Moreजब भी सोचती हूं, अपनों के बारे में, क्यों नहीं सोचती हूं अपने बारे में? नारी जगत जननी, नारी क्षमा,
Read Moreभीगी चूनर, भीगा तन-मन, अबीर, गुलाल, नव रंग, झुमे, गाये, खेले होली, सब मिल करें हुडदंग।। मनमोहना की मोहिनी से
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