संस्मरण – पहली बेंच से आख़िरी बेंच तक
जुलाई का महीना आते ही स्कूल के दिन याद आने लगते हैं, मैं उन दिनों बहुत उत्साहित रहती थी ।
Read Moreजुलाई का महीना आते ही स्कूल के दिन याद आने लगते हैं, मैं उन दिनों बहुत उत्साहित रहती थी ।
Read Moreसुबह के नास्ते से लेकर रात के खाने तक , सबके नसीब में , सब कुछ नहीं मिलता। पहला वर्ग
Read Moreहे कौशल्या के नंदन आपका अभिनंदन है , मंदिर के प्रांगण में पलक बिछाएंँ बैठे हैं जन , रामपथ देख
Read Moreआज खुशी का पल,प्रभु की प्राण प्रतिष्ठा का क्षण,घर मंदिर है पांँच दीप जलाऊँ,पुष्प से सजाऊँ, पीला अक्षत चढ़ाऊँ,प्रभु का
Read Moreछोड़ उदासी मेरे भाई ! थोड़ा- सा मुस्कुरा दें, बीते कल की न सोच , चल हम आज में जीते
Read Moreसूरज को पकड़ने चली हर मुश्किलों को पार करके , आज उन्मुक्त गगन में उड़ने मैं चली | सबकी मुझसे
Read Moreआख़िर क्या कमी है , अंधेरे में ही चेतना प्रकाश का महत्व है | तुम स्वयं से मार्ग चुनो !
Read Moreमानव व सभी जीवों के हित में सोचो ! मानव सर्वोपरि है | नियमों का उल्लंघन करना, अपने नियम बनाकर
Read Moreमेरे प्यारे बच्चों! जीवन में तुम सब होनहार ऐसे बनो! अंतर्मन की गुत्थी स्वयं से सुलझा दो ! मेरे प्यारे
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