कविता

कौशल्या  –  दशरथ नंदन  रघुनंदन का अभिनंदन

हे कौशल्या के नंदन  आपका अभिनंदन है ,

मंदिर के प्रांगण में पलक बिछाएंँ  बैठे हैं जन , 

रामपथ देख रही है चेतना , जनसमूह उमड़ रहा है, 

हे रघुनंदन ! पाँच सौ साल प्रतीक्षा की घड़ी का  अंत

 दे दो जनदर्शन |

हे दशरथ के नंदन आपका वंदन है , 

सनातन संस्कृति हमारी धरोहर , 

पीढ़ी दर पीढ़ी रखे ज्ञान , 

भरत के वंशज को है अभिमान , 

हर घर ध्वजा लहराएँ, पुष्प से सजाएँ

मंगल  ध्वनियाँ गूंँज रही हैं, राम कथा का करें गुणगान, 

चहुंँ दिशाओं में  हो रहा है यशोगान, 

राममय हुआ आज हिंदुस्तान

हे कौशल्या  –  दशरथ नंदन  

चेतना प्रकाश चितेरी कर रही आपका अभिनंदन । 

— चेतना प्रकाश चितेरी

चेतना सिंह 'चितेरी'

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