Author: डॉ. दशरथ कुमार गवली 'मसानिया'

कविता

बारहमासी उत्सव चालीसा 

भारत संस्कृति भूलकर , गाते पश्चिम गान। बच्चों को समझाइये,अपने उत्सव ज्ञान।।  *चेत*  महिना पहले आता। पकती फसलें मन हरषाता।।1

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