अटूट रिश्ता
वाकई कितना गहरा और अटूट रिश्ता है – आँख, कान, नाक और गले का। कोई सुनता ही नहीं हमारी बात जब तक
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Read Moreमूड और मौसम ये दोनों ही अब ऐसे हो गए हैं कि इनका पता ही नहीं चलता। पहले बारह महीनों
Read Moreमद-मस्ती के साथ चहल कदमी करते हैं बगुले जब किसान खेत में हल चलाता है, पानी देता है, और खरपतवार
Read Moreउदयपुर, 02 मई/वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. दीपक आचार्य के ताजातरीन लघुकथा संग्रह ‘ब्रह्मास्त्र’ का विमोचन वैश्विक क्षितिज पर विख्यात त्रिकालज्ञ भविष्यवक्ता संत
Read Moreएक ओर हम पर्यटन के नाम पर आधुनिक विकास के आयामों का दिग्दर्शन कराने के लिए भिड़े हुए हैं वहीं
Read Moreवे जो कर रहे हैं करने दो न देखो, न सुनो, न बोलो, उन्हें करने दो अपनी मनमानी सिर्फ देखते
Read Moreप्रजातंत्र में समाज और जीवन के हर पहलू में गण और तंत्र दोनों ही एक-दूसरे के लिए हैं। गण को
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