ग़ज़ल
कोहकन के द्वार तक सूरज का डेरा आ गया,जागती आंखों में जैसे ख़्वाब तेरा आ गया।आसमां पे चाँद को तकता
Read Moreदृग रोए हँसे अधर धर कर, मुस्कन की झूठी अरुणाई,मैं सरित चंचला सागर को,सर्वस्व समर्पित कर आई….वह बाहु पाश जो
Read Moreछोटी छोटी बातों पर भी खुल कर हँसने वाले यार, याद आते हैं बिना बात ही अक्सर लड़ने वाले यार।
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