मुक्तक-नव वर्ष -2015 की शुभकामनायें
दो हजार पंद्रह का स्वागतम प्यार सब कर लो, दो हजार चौदह की विदाई यार अब कर लो। सभी कड़वाहट
Read Moreदो हजार पंद्रह का स्वागतम प्यार सब कर लो, दो हजार चौदह की विदाई यार अब कर लो। सभी कड़वाहट
Read Moreदर्श पाया आज नूतन, हर्ष लाया आज नूतन, आज का मौसम नया है, वर्ष आया आज नूतन। दिनेश”कुशभुवनपुरी”
Read Moreसोने जैसा “रूप” है, चाँदी जैसा रंग। चमक बिखेरे तू सदा, मिलकर तारों संग॥ मनोकामना है यही, चमके तू दिन-रात।
Read Moreपाप का घड़ा, सम्पूर्ण जब भरा, फूट ही पड़ा। अधूरी भरी, छलकती जरूर, जल गगरी(घड़ा)। बालकमन, कच्चा घड़ा समान, सच्चा
Read Moreपिता हमारे बरगद जैसे, देते सबको छाया। जड़ें हैं इनकी इतनी गहरी, दिशा दिशा फैलाया। हर रिश्ता भाता है इनको,
Read Moreपुष्प महक, उपवन गुलाब, रंग-बिरंगा, भौंरा हो मदमस्त, खेले कलियों संग। बिखरी छटा, चमन खिल गया, संग दिनेश,(सूर्य)
Read Moreदहेज एक ऐसा दानव, तड़प रहा है हर मानव, दहेज बिना अधूरी शादी, हुई कितनों की बरबादी, गरीब बेचारा पिस
Read Moreजनता अपनी रो रही, नेता करते लूट। सत्ता अपनी सो रही, चोर पा गए छूट॥ चोर पा गए छूट, घोटाला
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