जीने का हक़
मैं भी औरत हूँ, क्या मुझे भी जीने का हक़ है, खुद का अस्तित्अंव मिटाकर, किसी का घर बसाती हूँ
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Read Moreगणतंत्र दिवस आ गया, हर्षोल्लास हो गया, चारों और धूम मची, हर गली में नारा गूंज गया। प्रभात फेरी का
Read Moreखाली हाथ आये थे, खाली हाथ जाना है, इस भाग दौड़ के जीवन में थोड़ा सुख पाना है, .जीवन क्या
Read Moreशरद पूर्णिमा का चांद मुझसे बातें करता, देखे होंगे कई पूर्णिमा के चांद तुमने, मुझमें बात कुछ अलग है, मै
Read Moreअनुराग बहुत याद आओगे एक हंसता हुआ चेहरा था, जो सब के दुख दर्द को समझा था, अपनी परवाह कभी
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