कितना अकेला है ऊपर वाला!
कितना अकेला है ऊपर वाला;जगत जिसका है इतना अलवेला! बिना बात का रचा खेला;लग गया यहाँ मेला! ना कुछ लगाया
Read Moreकितना अकेला है ऊपर वाला;जगत जिसका है इतना अलवेला! बिना बात का रचा खेला;लग गया यहाँ मेला! ना कुछ लगाया
Read Moreहे राम, मैं हैरान;देखकर तेरा मकान! पाकर मुक़ाम,झाँक कर मचान;चलते तीर कमान,सब लहूलुहान! बिना इत्मीनान,ना कुछ सरोकार;ना काम ना धाम,बिन
Read Moreयाद मुद्दत से वो है आया कहाँ,गुफ्तगू प्यार की सुनाया कहाँ,जुस्तजू दिल की वह बताया कहाँ,रूबरू खुल के अभी आया
Read Moreबात वे मुझसे नहीं कर पाते,प्रतीक्षा मेरी हैं किया करते;बात करनी है लिखते हैं रहते,फ़ोन पर उठा बात ना करते!
Read Moreचाहते मिलना कोई हैं हमसे,चाहतें कितनी दिल रखे वे हैं;शर्तें कितनी संजोए राखे हैं,रिश्ते कितने बनाना चाहे हैं! साफ़ ना
Read Moreआज मैं आनन्द में हूँ, सृष्टि मेरी सौम्य है; देह मम स्फूर्ति में है, कर्म करने योग्य है! थकावट सारी
Read Moreशास्त्र उनके हैं शस्त्र उनके हैं, शरीर प्राण प्रण उन्हीं के हैं; तान उनकी में सभी चलते हैं, भान उनके
Read Moreव्यस्त है देखने में हर कोई, जाल पत्रों में विचरी दृष्टि रही; गोद में सारा विश्व पसरा रहा, गुदगुदा गुनगुना
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