लोक कितने विलोके हम हैं गए!
लोक कितने विलोके हम हैं गए,अकेले फिर भी हम हैं कितने रहे;नज़ारे कितने तारे दिखलाए,नज़र कीटाणु कितने गुण आए! चुस्त
Read Moreलोक कितने विलोके हम हैं गए,अकेले फिर भी हम हैं कितने रहे;नज़ारे कितने तारे दिखलाए,नज़र कीटाणु कितने गुण आए! चुस्त
Read More(मधुगीति 250812) करोगे क्या यहाँ कला करके,पताका क्या करोगे फहराके;कपोत बनके क्यों न चल लेते,हंस बनके न क्यों विचर लेते!
Read More(मधुगीति 250812) बड़ा अलवेला कन्हैया मेरा,लगाता फेरा भव में हर वेला;आँख तक हर की बाँकपन झाँकी,देता झकझोर भुवन हर झांकी!
Read More(मधुगीति 250812) लूट जो लोगे सभी ले लेगा,लूटने भी कहाँ है वह देगा;साथ में तुम्हारा सभी लेगा,मिटा अस्तित्व तुम्हें हिय
Read More(मधुगीति 250812) दिए भटका कन्हैया भव अपने,जीव लेने लगे हैं निज सपने;गए वे भूल आए क्या करने,भूले वे आए जिसे
Read Moreआ विराजो यहाँ,छोड़ करके जहान;हृदय मेरे बसो,छेड़ मर्मर ध्वनि! है स्वचालित जगत,माया विचरा रहा;मोह वश बह रहा,कुछ किए जा रहा!
Read Moreकितना अकेला है ऊपर वाला;जगत जिसका है इतना अलवेला! बिना बात का रचा खेला;लग गया यहाँ मेला! ना कुछ लगाया
Read Moreहे राम, मैं हैरान;देखकर तेरा मकान! पाकर मुक़ाम,झाँक कर मचान;चलते तीर कमान,सब लहूलुहान! बिना इत्मीनान,ना कुछ सरोकार;ना काम ना धाम,बिन
Read Moreयाद मुद्दत से वो है आया कहाँ,गुफ्तगू प्यार की सुनाया कहाँ,जुस्तजू दिल की वह बताया कहाँ,रूबरू खुल के अभी आया
Read Moreबात वे मुझसे नहीं कर पाते,प्रतीक्षा मेरी हैं किया करते;बात करनी है लिखते हैं रहते,फ़ोन पर उठा बात ना करते!
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