दो मुक्तक
धुँआ-धुँआ हो गयी जिंदगी अब तुम बिन कतरा कतरा बह गये सपने सब तुम बिन होते जो साथ बनते तुम
Read Moreगुंजन अग्रवाल 1 शर्मीला चाँद सिन्धु तट उतरा मेघों की ओटI 2 जीव इच्छाएँ सागर सी अथाह रही अधूरी/ होती
Read Moreप्रेम की परिभाषा कभी विरह तो कभी मिलन नए तराने नए अफ़साने वो उलझे रिश्ते आये न जो तुम कभी
Read More1 फूटने लगा ललछौंहा उजास पूरबी छोर । 2 प्यासा पादप ताके अंतिम क्षण बरसो मेघ । 3 खिला सुमन
Read Moreआसमान को देखकर , बेटी भरे उड़ान माँ के दिल में हो रही , आशंका बलवान ।। रिझा रहा हिय
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