गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 06/07/2020 ग़ज़ल सियासत में बाक़ी नहीं अब शराफत। कहाँ तक सुधारेगी उसको अदालत। दिखावे की हरगिज़ नहीं है इजाज़त। दिखाते फिरो मत Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 03/07/2020 ग़ज़ल फिर मुझे तेरी ज़बानी चाहिए। एक सुन्दर सी कहानी चाहिए। वाम दक्षिण हो चुका किस्सा बहुत, अब मईसत Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 29/06/2020 ग़ज़ल थक गये जल्द आज़ार से। दिख रहे सख्त बीमार से। देख लेना ज़रा मुल्क भी, जब मिले वक्त व्यापार से। Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 27/06/2020 ग़ज़ल मुल्क भर का दुलारा हुआ। जीत कर खेल हारा हुआ। जीत लाये अदालत से जब, तब हमारा हमारा हुआ। Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 27/06/2020 ग़ज़ल हर क़दम पर इश्क़ की देती मुझे दावत भी थी। प्यार करने का उसे पर इक सबब सूरत भी थी। Read More
कविता *हमीद कानपुरी 17/06/2020 सीमा पर चढ़ आया दुश्मन भूलो अपनी दलगत अनबन। सीमा पर चढ़ आया दुश्मन। खतरे में है अब घर आँगन। सीमा पर चढ़ आया दुश्मन। Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 15/06/2020 ग़ज़ल सियासत में बाक़ी नहीं अब शराफत। कहाँ तक सुधारेगी उसको अदालत। दिखावे की हरगिज़ नहीं है इजाज़त। दिखाते फिरो मत Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 15/06/2020 ग़ज़ल वही ज़िन्दगी में सफल मीत मेरे। सही सोच जिसकी अटल मीत मेरे। चलो चल के आते टहल मीत मेरे। हुआ Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 12/06/2020 ग़ज़ल खूबसीरत से तुम बना रखना। आदमी साथ में भला रखना। याद वादे ज़रा ज़रा रखना। हाथ खाली न झुनझना रखना। Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 04/06/2020 ग़ज़ल बेबसी पर भी श्रमिक की हमको लिखना चाहिए। दर्द सीने का कहीं लफ़्ज़ों में ढलना चाहिए। इक ज़रा सी चूक Read More