गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 05/05/202405/05/2024 ग़ज़ल ग़म नहीं गर भला सा मुकद्दर न हो। दिल के अन्दर मगर कोई भी डर न हो। सच कहे कौन Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 02/05/202402/05/2024 ग़ज़ल कर इबादत फ़क़त इक ख़ुदा के लिए। हाथ अपने उठा फिर दुआ के लिए। अपने रब की सदा ही रज़ा Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 20/04/202420/04/2024 ग़ज़ल उससे बनती नहीं हमारी है। अगर ज़ालिमों संग यारी है। डर के रहना नहीं कभी सीखा, शेर सी ज़िंदगी गुज़ारी है। Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 06/03/202406/03/2024 ग़ज़ल नहीं छल कपट की सियासत रही है।हमारी पुरानी रिवायत रही है। नये केस में जो घसीटा गया हूँ,किसी की यक़ीनन Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 11/02/202411/02/2024 ग़ज़ल हिफ़ाज़त की जो कसमें खा रहे हैं। दुकानो घर वही जलवा रहें हैं। मुसीबत को बढ़ाते जा रहे हैं। मुसलसल Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 02/02/202431/01/2024 ग़ज़ल है बीमार दिल ये दवा चाहता हूँ। मुहब्बत की ही बस ज़िया चाहता हूँ। वफ़ा चा हता हूँ वफ़ा चाहता Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 27/01/202427/01/2024 ग़ज़ल ध्यान हरगिज़ नहीं कुछ सुनाने में है। ध्यान उसका अभी बस रिझाने में है। उस मज़े का बयां किस तरह Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 28/12/202328/12/2023 ग़ज़ल खूब जमकर जनाब लिक्खा है। जुल्म का हर हिसाब लिक्खा है। कैसे कह दू अज़ाब लिक्खा है। जिसके हिस्से सवाब Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 17/12/202317/12/2023 ग़ज़ल हार जाने की मत अदा रखिए।जीत का हर घड़ी नशा रखिए। जीतना चाहते इलेक्शन गर,हर समय साथ काफ़िला रखिए। दूर Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 07/12/202307/12/2023 ग़ज़ल सब कुछ था बरक़रार अभी कलकी बात है। दौलत थी बे शुमार अभी कल की बात है। बागी हुये हैं Read More