हमीद के दोहे
इसकी हमको क्या पड़ी, क्या करता दरबार। आपस का रिश्ता हमें, खुद करना हमवार। पहल ज़रूरी काम में, बनिये ज़िम्मेदार।
Read Moreइसकी हमको क्या पड़ी, क्या करता दरबार। आपस का रिश्ता हमें, खुद करना हमवार। पहल ज़रूरी काम में, बनिये ज़िम्मेदार।
Read Moreलक्ष्य सरकार का पुराना है। स्वच्छ वातावरण बनाना है। हम सभी का यही निशाना है। साथ मिलकर जहां बचाना है।
Read Moreजनता को देते सदा, बातों की सौगात। जनता की सुनते नहीं, कहते मन की बात। उन चीज़ों पर हो रहा,
Read Moreफागुन का यूँ आगमन, सारे जग को खास। होली आकर बाँटती , दुनिया में उल्लास। हिम्मत को अपनी मियाँ, रखना
Read More