गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 21/04/2022 ग़ज़ल देश की हालत संभलनी चाहिए। बद तरीं सूरत बदलनी चाहिए। अब सियासतदान की हरकत कोई, आम जनता को न खलनी Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 12/04/2022 ग़ज़ल तीर चुपचाप है कमां चुप है। जो जहाँ है अजी वहां चुप है। यूँ तो वाचाल है बहुत लेकिन, हो रहा Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 06/04/2022 गज़ल तूफान ज़िन्दगी में उठा कर चले गये। जादू सा दिल में एक जगा कर चले गये। आये हमारे दिल में Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 11/03/2022 ग़ज़ल कुछ तो अच्छा जनाब आने दो। नीँद के साथ ख़्वाब आने दो। सब्ज़ परचम सदा रखो ऊँचा, अब नहीं इज़्तिराब Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 06/03/2022 ग़ज़ल हर क़दम निश्चित सफलता चाहते हैं। हम सलीक़ा औ सरलता चाहते हैं। अब नहीं कोई गरलता चाहते हैं। हम नहीं Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 23/02/2022 ग़ज़ल अब करो ऐसी सियासत। हाथ अपने हो क़यादत। रोज़ करते जो मशक्कत। माँगते वो कब रियायत। जो नहीं करतेहैं ख़िदमत। Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 10/02/2022 ग़ज़ल है पहले ही दिन से अगर बेकली, कटेगी भला किस तरह ज़िन्दगी। मुसीबत नयी सामने आ खड़ी। पुरानी नहीं मिल Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 08/02/2022 ग़ज़ल देखना चाहता पग बढ़ाते हुए। इस तरह मत चलो डगमगाते हुए। सब्र दिल का हमीद आज़माते हुए। बात करते रहे Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 24/01/2022 ग़ज़ल क़दम नव बढ़ाना नये साल में। जहां जगमगाना नये साल में। अँधेरे भगाना नये साल में। दिये मिल जलाना नये Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 13/01/2022 ग़ज़ल रक़ीबों की हिमायत हो रही है। खुली अब तो बगावत हो रही है। बढ़ाता हाथ सदक़े की तरफ़ जो, खqदा Read More