गीतिका/ग़ज़ल

तिरंगा

है  ऊँचा  गगन  में  उठाना   तिरंगा।
कि देखे  हसद से  ज़माना  तिरंगा।

खिलाड़ी  लगायें  इसे पोडियम पर,
तभी  विश्व  में  जगमगाना  तिरंगा।

नया जोश भरता जवानों के अन्दर,
नया  रोज़  गढ़ता  फ़साना  तिरंगा।

बढ़ाता क़दम दर क़दम हौसले को,
है साहस का ज़िंदा ख़जाना तिरंगा।

करे काम बेखौफ़ अपने मुसलसल,
बनाता   नहीं   है   बहाना   तिरंगा।

यही आज संकल्प लेना  सभी को,
घरों पर  है ऊँचा  लगाना  तिरंगा।

रहे  जान  या  जान  जाये  हमारी,
हमें हर  तरह  है   बचाना  तिरंगा।

— हमीद कानपुरी

*हमीद कानपुरी

पूरा नाम - अब्दुल हमीद इदरीसी वरिष्ठ प्रबन्धक, सेवानिवृत पंजाब नेशनल बैंक 179, मीरपुर. कैण्ट,कानपुर - 208004 ईमेल - ahidrisi1005@gmail.com मो. 9795772415