ग़ज़ल
जिन्हें हम रुह दिये बैठे वही हमें रुलाऐ हम तो समझे थे अपना और वफ़ा निभाऐ इश्क को तो बस
Read Moreखाली कंधों पर थोड़ा सा भार चाहिए बेरोजगार हूँ साहब मुझे रोजगार चाहिए जेब में पैसे नहीं हैं डिग्री लिये
Read Moreये वक्त भी गुजर जायेगा। ये पल भी गुजर जायेगा।। सुनहरा पल फिर से आयेगा ।। कुछ दबी हुयी ख्वाहिशें
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