तेरे सितम ,मेरी शराफत
दिल तो मज़बूर करता है ,पर मेरी जुबान नहीं खुलती तेरे सितम के आगे कभी , मेरी शराफत नहीं झुकती,
Read Moreदिल तो मज़बूर करता है ,पर मेरी जुबान नहीं खुलती तेरे सितम के आगे कभी , मेरी शराफत नहीं झुकती,
Read Moreकौन कहता है पैसा पेड़ पर नहीं उगता , पैसा तो पेड़ पर ही उगता है, सच्चाई की ज़मीन पर
Read Moreमैं प्यार हूँ जी हाँ मैं प्यार हूँ, दिल मेरा बसेरा है.. पर आज मैं भटक रहा हूँ यहाँ से
Read Moreयह चेहरा और यह जुबान क्यों इतने मज़बूर क्यों सच्चाई से दूर बनावटी मुस्कराहट , जुबान खामोश रहने को
Read Moreबेअदब दुनिया वाले आज उठा रहें हैं अदब का ज़नाज़ा, जिसका जितना ऊंचा कद उतना ऊंचा उठता है ज़नाज़ा ,
Read Moreजैसे सूरज की किरणों के प्यार भरे स्पर्श से खारे पानी की बूंदे, वाष्प का रूप लेकर उन्नत राह पर
Read Moreशाख से टूटे कुछ पत्ते कुछ मुरझाये ,कुछ सूखे कुछ मिटटी में सने हुवे मुस्काती कलियों को देख रहे थे
Read Moreमाँ सरस्वती के चरणों में शत शत नमन, –सत्य लेखन ही सरस्वती पूजा है– लेखनी तो सरस्वती है, इसका अपमान
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