कविता : मन से जीवन
मन से जीवन में सुन्दरता है , मन से जीवन में चंचलता है, मन ही मन में जो मुस्काते है,
Read Moreमन से जीवन में सुन्दरता है , मन से जीवन में चंचलता है, मन ही मन में जो मुस्काते है,
Read Moreपल ही पल में, क्या से क्या हो जाता है, इक प्यार करने वाला दिल, शीतल ‘शबनम’ से आग का
Read Moreमैं भी जीना चाहता हूँ कुछ पल सिर्फ अपने लिए ….हाँ सिर्फ अपने लिए बस मैं ही मैं हूँ और
Read Moreहम काँच के खिलौने नहीं हैं, जो गिरते ही टूट जायेंगें , जोर से चट्खेगें और टुकड़े टुकड़े बिखर जायेंगें,
Read Moreदुनिया की रंगरलियों से दूर जहाँ कुदरत की बजती है सरगम, ऑक्सीजन हवा में कम है फिर भी दोगुना
Read Moreआज जंगल में अखबार आया है, समाचार पढ़ कर जंगल में मातम छाया है— जंगल का हर जानवर जैसे इंसान
Read Moreज़िंदगी जैसे एक समझौता बन कर रह गई है, अपने दिल की आरज़ू और ख्वाइशे— जैसे नदिया में बह गई
Read Moreकई बड़े कवियों को,मंच पर , एक ही गम खा जाता है, कि ‘कविता’ का रंग कैसे, हर महफ़िल में
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