बेचारा “अन्नदाता “
बेचारा “अन्नदाता ” देश को रोटी खिलाने वाला, खुद रोटी को मोहताज़ है, यह कैसी व्यवस्था है, और यह कैसा
Read Moreबेचारा “अन्नदाता ” देश को रोटी खिलाने वाला, खुद रोटी को मोहताज़ है, यह कैसी व्यवस्था है, और यह कैसा
Read Moreसंध्या का समय , दूर क्षितिज में सूर्य अस्त हो रहा था, धरती पर धीरे धीरे अंधकार पसर रहा था,
Read Moreजो दूर है वह पास है, जो पास है वह दूर है, अजब है यह मोहब्बत, अजब इसका दस्तूर है,
Read Moreआ गए शुभ नवरात्रे भक्तो माँ के दरबार में आओ, पाकर माँ का आशीष, अपना जीवन सफल बनाओ, आओ भक्तों आओ, माँ वैष्णो देवी के दरबार , माँ चरणो में शीश झुका के माँ का करो सत्कार, माँ करती हैं अपने सब भक्तो पर उपकार, माँ की शरण में जो आया उसका बेडा पार, माँ वैष्णो देवी भरती, है हर घर के भण्डार, माँ भक्त है सदा सुखी,पड़े न वक़्त की मार, आओ भक्तों आओ,चिंतपूर्णी माँ के दरबार , माँ की भेंटें गा गा कर माँ का करो सत्कार, चिंतपूर्णी माता रानी सब चिंता दूर करती है, अपने भक्तो की झोली में खुशियां भरती है, माता के दरबार में जो आकर शीश नवाता है, कष्टो से पाता मुक्ति, जीवन सुखी कर जाता है, आओ भक्तों आओ, माँ ज्वाला जी के दरबार , कंजको की करके पूजा, माँ का करो सत्कार, ज्वालाजी की ज्योति जो घर में रोज़ जलाता है, मन उसका रोशन होता, जग में नाम कमाता है, उस के घर न हो अँधेरा,माँ की ज्योति जलती है, उस की जीवन नैय्या, सुख के पतवार पर चलती है,
Read Moreबचपन मे रहता था इंतजार होली का स्कूल से छुट्टी का दोस्तो के साथ मौज-मस्ती का स्वादिष्ट वयंजन खाने का
Read Moreउम्र की संध्या अपनी उम्र की संध्या पर पहुँच कर , जब हम याद करते हैं , संग संग बीते
Read Moreमौसम ने ली है बेमौसम की करवट, रंग बदलने में मार खा रही है गिरगिट, कभी धूप कभी छाया
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