कविता

वही कुछ ‘ख़ास’ हैं

जो दूर है वह पास है, जो पास है वह दूर है,

अजब है यह मोहब्बत, अजब इसका दस्तूर है,

वह सामने है ,फिर भी पास नहीं,

वह पास नहीं, फिर भी  दूर नहीं ,

जो सामने है उसकी परवाह नहीं,

जो दूर है क्यों उसी की आस है,

यह आँख का धोखा है, या मन का विश्वास है,

या केवल एक अनुभूति है, मिथ्या आभास है,

जो पास है वही प्रभु की कृपा है,

जो दूर है वह केवल तृष्णा है,

‘संतोष’ में ही व्यापक सुख समाया है,

जो नहीं वह केवल एक सपना है,

जिसका आधार आपकी ‘कल्पना’ है,

सपने भी पूरे होंगे साकार ,अगर प्रेम में पावनता है,

अपनों से मधुर संचार है, ह्रदय में बसी मानवता है,

प्रभु की करनी पर विश्वास है, न कोई झूठी आस है,

समय का चक्र अविरल चलता है, उम्र सभी की गुजरती है,

पर जो ‘जीते’ हैं किसी मकसद से , वही कुछ ‘ख़ास’ हैं।

०९/०४/२०१५      ———————–जय प्रकाश भाटिया

जय प्रकाश भाटिया

जय प्रकाश भाटिया जन्म दिन --१४/२/१९४९, टेक्सटाइल इंजीनियर , प्राइवेट कम्पनी में जनरल मेनेजर मो. 9855022670, 9855047845