सावन भादों
दिनकर की स्वर्णिम किरणों ने, धरती का सुंदर रूप सजाया , काले मेघो ने सूरज के संग आँख मिचोली खेल
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Read Moreबिखरे शब्द बार बार दिखते थे टकराते थे मेरी कलम से फिर न जाने क्यों लौट जाते थे, शायद मैं
Read Moreयह अमावस तो दीपावली की रात है श्री राम जी का आगमन होगा लक्ष्मी गणेश जी की पूजा होगी हर
Read Moreयदा यदा हि धर्मस्य फिर चरितार्थ होना चाहिए इस धरा पर श्री कृष्ण का अवतार होना चाहिए पाप अत्याचार से
Read Moreनन्ही नन्ही सावन की बूंदे क्या मनमोहक रूप सजाती है सूक्षम सुषम शबनम सी बनकर , यह फूलों पे इतराती
Read Moreइस दुनिया में मासूमियत से जब हम- मशरूफियत की और बढ़ते हैं लगता है हर रिश्ते के मायने बदल जाते
Read Moreजीवन जन्म से लेकर अंतिम सांस तक चलता ही रहता है, लेकिन यह जीवन कैसा है, सम्मानित है, सुखी है शिष्ट
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