मेरा रंग दे बसंती चोला
चाह नहीं मैं पन्नों पर अंकित हो इठलाऊं, चाह नहीं मैं सात सुरों में सजकर इतराऊं, चाह नहीं मैं काव्य
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Read Moreदरवाजे पर प्रीतम सेठ को देख कर रुकमणी की भौंहें चढ़ गई। सेठ और हमारे दरवाजे पर कहीं सूरज आज
Read Moreद्वार पर आई रे मस्तानी होली रंग डारो रे होकर मस्त मगन, भिगाओ रे तन मन प्रेम रंग में रहे
Read Moreकई महीनों से बेटे की कोई चिट्ठी नहीं आई, ना फोन आया। प्रत्येक महीने रघुनाथ को ₹१००० का माॅनी ऑर्डर
Read Moreआज मासूम निधि की धन की बेदी पर बलि चढ़ाई जाएगी। वह अब बड़ी हो चुकी है। इस बालिका अनाथ
Read More” तुम तीनों अगर लंदन चले गए तो मैं अकेली यहाँ पर क्या करूंगी? कैसे रहूंगी मैं तुम लोगों के
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