मेरी जापान यात्रा – 14
टाकायामा को शीश नवाकर हम अगली सुबह वापिस टोक्यो आये। क्योंकि हम पहाड़ी इलाके से गुजर रहे थे नज़ारा बहुत
Read Moreटाकायामा को शीश नवाकर हम अगली सुबह वापिस टोक्यो आये। क्योंकि हम पहाड़ी इलाके से गुजर रहे थे नज़ारा बहुत
Read Moreक्योटो का रेलवे स्टेशन मंदिर से बहुत दूर नहीं था। हम अपनी छोटी छोटी सामान की ट्रॉलियां खींचते यथासमय टाकायामा
Read Moreनारा आठवीं शताब्दी में जापान की राजधानी हुआ करता था। नारा का शाब्दिक अर्थ ” प्रसन्न ” है। इस शब्द
Read Moreक्योटो एक बहुत ऐतिहासिक नगर है। यह जापान की राजधानी रहा है। इस कारण यहां बौद्ध धर्म और शिंटो
Read Moreकोबे से ओसाका केवल २० मिनट की दूरी पर है। होटल के स्वागत कक्ष में लगे सचित्र ब्रोशर के अनुसार
Read Moreहिरोशिमा से हम कोबे गए। पर जाते ही होटल अपने पश्चिमी तरीके का बदल लिया। कारण जापान में अभी भी
Read Moreसन १९६६ में जॉय मुकर्जी की फिल्म लव इन टोकियो ने हमें बहुत प्रभावित किया था। फिल्म तो आम हिंदी
Read Moreअगली सुबह हमें बुलेट ट्रैन से यात्रा करनी है। यह सिटिंग कोच होगी सोंचकर अपना सामान कम किया। एक बड़ा
Read Moreशाम को साढ़े चार बजे हम सब शहर घूमते हुए वापिस जा रहे हैं। हमारी गाइड बताती है कि जापान
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