अतीत की अनुगूंज -19 : असुरक्षित बचपन और परिणाम
ली एक चुप्पा सा बालक था। सत्र के शुरू में कक्षा में यह सुनिश्चित करना कठिन होता है की कौन सा बच्चा
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Read Moreमेरी अध्यापन की पहली नौकरी का पहला वर्ष पूरा हो चुका था। अब मैं पक्की अध्यापिका घोषित कर दी
Read Moreयह मेरा बीता हुआ कल नहीं है, यह एक अमर स्मृति है। जून की दो तारीख को मेरा जन्मदिन है।
Read Moreएक मोटी सी, सुन्दर लड़की अपने कुत्ते को टहलाती मेरी नई कक्षा के सामने आ खड़ी हुई। दो मिनट बाद उसने
Read Moreइस देश में आई तो जनवरी का महीना था। और दो महीने लगे घर ज़माने में। एक कमरा और सांझी रसोई . उसमे
Read Moreमार्च आ गया है। ठण्ड बहुत पडी है और तूफ़ान भी एक के बाद एक अलग
Read Moreपिछले सत्तर वर्ष हमने देखे हैं। हममे से कोई भी छाती पर हाथ धरकर यह नहीं कह सकता कि हमें
Read Moreइस वर्ष मेरे पूज्य पिता श्री लक्ष्मी चरण जी की जन्म शताब्दी है। पापाजी अत्यंत मेधावी व्यक्ति थे। अपने स्वभाव
Read Moreसितम्बर में नया सत्र शुरू हुआ। उस वर्ष मुझे पहली कक्षा को पढ़ाना था। रंगा रंगी बच्चे। सब एक उम्र
Read Moreमेरी स्मृतियों के अमित पिटारे में एक बहुत प्रिय संयोग है जिसे याद करके आज भी आत्मा तृप्त हो जाती
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