ग़ज़ल
तेरी’ उल्फत नहीं’ नफ़रत ही’ सही गर इनायत नहीं, जुल्मत ही’ सही | चाहा’ था मैं तेरी संगत ही मिले
Read More” मदिरा सवैया ” (वर्णिक छंद ) सात भगण+एक गुरु 211 211 211 211 211 211 211 2 ************************************** बाजत
Read More१. इस जिंदगी में सिर्फ यही काम रह गया सब को किया है याद, वही राम रह गया | उस
Read More