पद्य साहित्यमुक्तक/दोहा

व्यंग

दोहे (व्यंग )
हमको बोला था गधा, देखो अब परिणाम |
दुलत्ती तुमको अब पड़ी, सच हुआ रामनाम||
चिल्लाते थे सब गधे, खड़ी हुई अब खाट|
गदहा अब गर्धभ हुए, गर्धभ का है ठाट ||
हाथ काट कर रख दिया, कटा करी का पैर |
बाइसिकिल टूटी पड़ी, किसी को नहीं खैर ||
पाँच साल तक मौज की, कहाँ याद थी आम |
एक एक पल कीमती, तरसते थे अवाम ||
करना अब कुछ साल तक, बेचैन इन्तिज़ार |
खाकर मोटे हो गए , घटाओ ज़रा भार ||
*****
होली पर एक दोहा
*************
होली फागुन पर्व है, खेलो रंग गुलाल |
हार जीत है जिंदगी, रखना दूर मलाल ||
© कालीपद ‘प्रसाद’

*कालीपद प्रसाद

जन्म ८ जुलाई १९४७ ,स्थान खुलना शिक्षा:– स्कूल :शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय ,धर्मजयगड ,जिला रायगढ़, (छ .गढ़) l कालेज :(स्नातक ) –क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान,भोपाल ,( म,प्र.) एम .एस .सी (गणित )– जबलपुर विश्वविद्यालय,( म,प्र.) एम ए (अर्थ शास्त्र ) – गडवाल विश्वविद्यालय .श्रीनगर (उ.खण्ड) कार्यक्षेत्र - राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कालेज ( आर .आई .एम ,सी ) देहरादून में अध्यापन | तत पश्चात केन्द्रीय विद्यालय संगठन में प्राचार्य के रूप में 18 वर्ष तक सेवारत रहा | प्राचार्य के रूप में सेवानिवृत्त हुआ | रचनात्मक कार्य : शैक्षणिक लेख केंद्रीय विद्यालय संगठन के पत्रिका में प्रकाशित हुए | २. “ Value Based Education” नाम से पुस्तक २००० में प्रकाशित हुई | कविता संग्रह का प्रथम संस्करण “काव्य सौरभ“ दिसम्बर २०१४ में प्रकाशित हुआ l "अँधेरे से उजाले की ओर " २०१६ प्रकाशित हुआ है | एक और कविता संग्रह ,एक उपन्यास प्रकाशन के लिए तैयार है !